सास बहू से क्यों डरती है? सास बहू मे झगड़े का 1 ही कारण है

सास बहू से क्यों डरती है? सास बहू मे झगड़े का एक ही कारण है

मुख्य कारण १: बेटे की पत्नी पर ध्यान की कमी सास बहू

  • सास बहू
    एक बार बेटे की शादी हो जाने के बाद, उनका ध्यान अधिकतर उनकी पत्नी पर ही जाता है। माताओं के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन जाती है क्योंकि वो अपने बेटे को दूसरों से बाँटने में असमर्थ होती हैं। इससे उन्हें ऐसा अनुभव होता है कि उनकी आवाज़ सिर्फ उनके बेटे तक ही पहुँचती है। इसका परिणामस्वरूप, बेटे का ध्यान उनकी पत्नी पर ही रहता है और विवादों की बुढ़ादमान जड़ों का कारण बनता है।

 

मुख्य कारण २: सास और बहु की विभिन्नता में तकरार

  • सास और बहु के बीच के तनाव का एक और महत्वपूर्ण कारण है उनकी विभिन्नता। सास की आशा होती है कि बहु उनके तरीके से ही काम करेगी और उनके दिल की खटास नहीं उत्पन्न होगी। बहु का विचार होता है कि वो अपने तरीके से भी काम कर सकती है, और उसकी स्वतंत्रता का अधिकार है। इस विभिन्नता में तकरार उत्पन्न होने के कारण दोनों की दिल में खटास उत्पन्न होती है, जो समय-समय पर उभर कर सामने आती है।

 

समाधान: संवाद का माध्यम

  • इस सास-बहु के तनाव को सुलझाने के लिए संवाद का माध्यम एक महत्वपूर्ण तरीका हो सकता है।
  • इसे समझने के लिए संवाद का माध्यम एक उपयुक्त रास्ता हो सकता है जिससे इन संबंधों में सुधार किया जा सके।

सास बहू सवाल स्त्री- मनोवैज्ञानिक समस्या से सम्बन्धित है।

  • यहाँ, हम अपने जीवन में अनुभव किये गए कुछ संदर्भ बिन्दुओं से अवगत कराने की कोशिश करते हैं।

 

  • आमतौर पर स्त्रियाँ छोटी छोटी व्यवहारिक बातों पर पुरुषों की अपेक्षा अधिक जानकारी और गहरी अभिरुचि रखती देखी जाती है। आन्तरिक क्षमता की दृष्टि से स्त्रियाँ काफी सबल एवं सुलझी हुई होती हैं।
    किसी भी परिवार में देखें तो, …एक बाईक के ड्राईविंग और कन्ट्रोलिंग डिवाइस या पार्ट की भाँति “कब,कितना और कैसे समंजित करना है” इसकी गहरी और सूक्ष्म समझ, स्त्रियों में देखी जाती है। जबकि पुरुष की भूमिका इंजन, गीयर और रीयर व्हील के जैसे परस्पर सहयोगात्मक है। पर मंजिल तय करने की गारिन्टी केवल सुरक्षा युक्ति के हिस्से में ही होती है।
  • प्रकृति ने स्त्रियों में कुछ विशिष्ट एवं विलक्षण ज्ञानेन्द्रियों की क्षमता प्रदान की है। जिस कारण रंग, रस, गंध, राग और स्पर्श की संवेदना व चयन के सूक्ष्म अन्तर की पहचान दृष्टि पुरुषों के समझ और कल्पना से परे है।
    स्त्रियों में अथक, कठोर शरीर श्रम शक्ति की अपेक्षा (जो कि प्रकृति प्रदत्त शारीरिक गठन के रुप में दिख रहा है) “केयरिंग” एण्ड “शेयरिंग” नेचर के साथ “कन्ट्रोलिंग -कॉरडिनेटिंग” और “मल्टी डाइमेन्शनल थिंकिंग कैपेसिटी” अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में देखी गई है।
  • जीवन में बड़ी चुनौती अपेक्षाकृत छोटी छोटी चुनौतियों से बहुत ही कम देखी जाती है। बड़ी चुनौती के प्रति अक्सर पुरुष संवेदनशील देखे जाते हैं ,जबकि स्त्रियों को छोटी छोटी सास बहू चुनौतियों से हर क्षण ,हर दिन, हमेशा दो-चार होना पड़ता है। जिस वजह से उचित समायोजन हेतु “परस्पर क्रियाशीलन” की सहज और सतत् प्रक्रिया का होना स्वाभाविक है।
    स्त्रियाँ अपने रक्त संबंध से भिन्न स्त्रियों को स्वीकार करने के लिए सहज रुप से तैयार नहीं होती।

 

  • इसे एक मनोवैज्ञानिक उपचार का हिस्सा मानकर चलने से परिवार में तनाव , बिखराव, अलगाव और अशान्ति के वातावरण से बचा जा सकता है।
    अतएव यह एक असामान्य व असहज घटना न होकर संतुलित समायोजन की कड़वी व आवश्यक प्रक्रिया है। जिसे स्वीकार कर सकारात्मक रुपान्तरण के लिए हर किसी को अपनी मनःस्थिति ढालने का यत्न करते रहना चाहिए।

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सास बहू

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एक बेटे की माँ सबसे ज्यादा असुरक्षा की भावना से ग्रस्त होती है.

  • सबसे पहले-
  • मेरा बेटा किसी और का हो जायेगा मेरी बात नहीं सुनेगा ,मेरा ध्यान नहीं रखेगा जब उसकी ज़िन्दगी में कोई और औरत आ जाएगी.
  • दूसरा
  • जो घर वो अब तक संभालती आ रही है उसका प्रभुत्त्व और सत्ता उसे साझा करनी पड़ेगी अपनी बहु के रूप में और बहु का स्वामित्व उसे जरा भी स्वीकार नहीं होता .
  • इसी वजह से वो अपने बेटे को नियंत्रित रखने के लिए घर के स्वमित्व को साझा करने की असुरक्षा वाली भावना से से बचने के लिए यही सब समय समय पर अपनी भावनाओ को झगडे के रूप में प्रदर्शित करती रहती है!!
  • तुमने साबुन यहाँ क्यों रखा.
  • सब्जियां फ्रीज में क्यों नहीं रखी
  • रोटी ज्यादा क्यों बनाई
  • पंखा बंद कर के बहार निकला करो
  • सब्जियों में तेल कम डाला करो
  • फालतू कपडे क्यों लेती हो
  • मेरे बेटे का ज्यादा खर्चा मत कराया करो
  • बिना बताये घूमती रहती हो

और भी बहुत कुछ (क्या ये सब कुछ सांस अपनी बेटी को कभी बोलती है )

  • ऊपर से पड़ोस वालों से बहु की बुराइयां
  • इतनी परेशानी क्यों उनको लाया भी आपने फिर उनसे ऐसा रव्वैय्या जैसे वो आपके घर को जबरदस्ती हथियाने आयी हो
  • आप बहु के रूप में बेटी चाहते हैं न तो पहले आपको माँ बनना होगा क्यूंकि माँ बेटी को जनम देती है बेटी माँ को नहीं
  • ये ही सब और क्या कल आयी हुई लड़की मेरे बेटे के दिलो दवार पे सवार होकर बैठ जाएगी तो मुझे कौन देखेगा.

 

शादी के बाद छोटी लड़की को खुश रखने के 5 आसान उपाय

  • छोटी लड़की की परिवार में एक महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता होती है और उसके साथ अच्छे संबंध बनाने पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। अपनी प्रेमिका को खुश रखने के पांच सरल तरीके निम्नलिखित हैं:

1. समय देना और समझना सास बहू

  • छोटी लड़की के साथ समय बिताने का प्रयास करें और उसकी भावनाओं को जानने का प्रयास करें। उन पर सावधानी से ध्यान देने का अवसर खोजें और उनकी चिंताओं का पता लगाने का प्रयास करें। उन्हें अद्वितीय क्षण प्रदान करके उनकी मित्रता को सुदृढ़ करें।

2. पत्राचार और समर्थन

  • अपनी ससुराल वाली लड़की के साथ करुणा और पत्राचार का माहौल बनाने का प्रयास करें। उनकी खुशियों और कठिनाइयों को समझें और उनका समर्थन करें।

3. घटना उपहार

  • असाधारण अवसरों पर लड़की को छोटे-छोटे उपहार देने से उसकी खुशी बढ़ जाएगी। यह उसके जन्मदिन, स्मरणोत्सव या किसी अन्य अनूठे कार्यक्रम के लिए बहुत अच्छा हो सकता है जिससे उसे असाधारण महसूस हो।

4. ऊर्जा निवेश

  • नियम-कायदों में छोटी लड़की के साथ ऊर्जा निवेश करने से उसके साथ एक अच्छा रिश्ता बनाने में मदद मिलेगी। उनके साथ बिताया गया समय असाधारण परिस्थितियों को महत्वपूर्ण बनाने में मदद करेगा।

5. एसोसिएशन के माध्यम से मुद्दों का ध्यान रखना

  • जब मुद्दे सामने आएं तो उनके साथ व्यवस्थाएं तलाशने का प्रयास करें।सास बहू मुद्दों को एक साथ मिलकर निपटाने से आपका रिश्ता काफी हद तक मजबूत होगा।
  • इन सरल कदमों का पालन करके, आप शादी के बाद अपनी बेटी के साथ एक सुखद रिश्ता बना सकते हैं और उसे सहायता प्रदान कर सकते हैं।

 

एक अच्छी बहू के क्या लक्षण होते हैं?

 

 

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